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और जीने की चाहत पड़ने लगी है

 और जीने की चाहत बढ़ने लगी है जब से तुमसे मोहब्बत हुई नजरें ढूंढती है हर वक्त सिर्फ उनको बेचैन रहता हूं दिल अब मेरे काबू में रहता नहीं

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वह इठलाती रही

वह इठलाती रही शर्माती रही मुझे देखकर पलके झुकाते रही उसको पटाने की कोशिश करता रहा एक अजब से अंदाज में इनकार करते हुए अंगूठा दिखाकर गई कुछ ना आया समझ जरा भी मुझे यह कैसी मोहब्बत बयां कर गई

आपको भी हमसे मोहब्बत हो जाएगी

आपको भी हमसे मोहब्बत हो जाएगी आप जिस दिन मेरे भावनाओं को पहचान जाओगे जितना हम आपको चाहते हैं उससे मुझे ज्यादा चाहोगे उस वक्त का मुझे इंतजार है जिस दिन अपने प्यार को मेरे करीब लाओगे