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इश्क की गलियां सुनसान हो गई

इश्क की गलियां सुनसान हो गई जिंदगी हमारी श्मशान हो गई धोखा ही देना था तो प्यार क्यों किया उसके वादों में जिंदगी बर्बाद हो गई

वह इठलाती रही

वह इठलाती रही शर्माती रही मुझे देखकर पलके झुकाते रही उसको पटाने की कोशिश करता रहा एक अजब से अंदाज में इनकार करते हुए अंगूठा दिखाकर गई कुछ ना आया समझ जरा भी मुझे यह कैसी मोहब्बत बयां कर गई

और जीने की चाहत पड़ने लगी है

 और जीने की चाहत बढ़ने लगी है जब से तुमसे मोहब्बत हुई नजरें ढूंढती है हर वक्त सिर्फ उनको बेचैन रहता हूं दिल अब मेरे काबू में रहता नहीं